Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि इस वर्ष 23 जुलाई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान शिव की उपासना का एक विशेष अवसर होता है, जो विशेष रूप से सावन के पवित्र महीने में आता है. लेकिन अक्सर लोग इसे महाशिवरात्रि समझ लेते हैं या फिर मासिक शिवरात्रि से भ्रमित हो जाते हैं. जबकि इन तीनों में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और वैदिक अंतर होते हैं. आज हम जानेंगे कि सावन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच क्या फर्क है, किस तिथि को कौन सी पूजा होती है और दोनों का आध्यात्मिक महत्व क्या है.
सावन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि
दोनों ही भगवान शिव को समर्पित पर्व हैं और चतुर्दशी तिथि को मनाए जाते हैं. श्रद्धालु इन दोनों अवसरों पर व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और रात्रि में जागरण करते हैं. लेकिन… यहीं पर समानता खत्म हो जाती है. आगे जानिए कि इनमें कितना बड़ा धार्मिक अंतर है.
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन की पूजा का विशेष महत्व वैवाहिक जीवन से जुड़ा माना जाता है. श्रद्धालु शिव-पार्वती की पूजा कर वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और सौहार्द की कामना करते हैं. विशेषकर कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं.
सावन शिवरात्रि
सावन शिवरात्रि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन केवल भगवान शिव की पूजा की जाती है, माता पार्वती की पूजा नहीं होती. यह दिन विशेष रूप से शिव भक्तों द्वारा शिव कृपा प्राप्त करने और समस्त दोषों से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है. सावन माह में शिव पूजा का अत्यधिक पुण्य बताया गया है और सावन शिवरात्रि इस महीने की सबसे पवित्र तिथियों में से एक मानी जाती है.
मासिक शिवरात्रि भी होती है अलग
हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में पूजा होती है. यानी साल में कुल 12 मासिक शिवरात्रियां होती हैं. इन्हीं में से एक श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि को ही हम सावन शिवरात्रि कहते हैं. वहीं महाशिवरात्रि पूरे वर्ष की सबसे प्रमुख शिवरात्रि होती है और इसे “शिवरात्रियों की महा रात्रि” कहा जाता है.
धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे. इसीलिए यह दिन संपूर्ण ब्रह्मांड में भगवान शिव की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है. जबकि सावन शिवरात्रि का उद्देश्य भगवान शिव की भक्ति और तपस्या से कृपा प्राप्त करना होता है.
पूजा विधियों में भी होता है अंतर
महाशिवरात्रि पर पूजा में शामिल होता है:
- भगवान शिव और माता पार्वती का रुद्राभिषेक
- सप्तन्यास, षोडशोपचार और रात्रि जागरण
- वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए प्रार्थना
वहीं सावन शिवरात्रि में:
- केवल भगवान शिव का जलाभिषेक
- बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित कर तप किया जाता है
- शिव कृपा और रोग, दोष निवारण की कामना की जाती है
सावन में क्यों होता है शिव पूजन का खास महत्व?
सावन मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है. इस पूरे माह में हर सोमवार को शिव आराधना, व्रत और जलाभिषेक का विशेष महत्व है. इसी क्रम में सावन की शिवरात्रि सबसे शुभ दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि
बिंदु | महाशिवरात्रि | सावन शिवरात्रि |
---|---|---|
तिथि | फाल्गुन मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी | श्रावण मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी |
उद्देश्य | शिव-पार्वती विवाह | शिव कृपा और भक्ति |
पूजा में शामिल | शिव-पार्वती दोनों | केवल भगवान शिव |
मान्यता | शिव का प्रकट होना, विवाह | शिव की आराधना व कृपा पाने का अवसर |
वैवाहिक दृष्टि | वैवाहिक सुख और संयोग के लिए खास | धार्मिक पुण्य और साधना के लिए उपयुक्त |