Mustard Oil Price Hike: सरसों तेल की कीमतों में अचानक आई तेजी ने घरेलू बजट पर बड़ा असर डाला है। पिछले एक महीने में सरसों तेल की कीमतों में 30 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी देखी गई है। जिससे खाद्य सामग्री के खर्च में इजाफा हो गया है।
सरसों के दाम बढ़े, तेल के दाम उछले
तेल कारोबारी वैभव अग्रवाल ने बताया कि बाजार में सरसों की आवक कम होने और कीमत बढ़ने के कारण सरसों तेल महंगा हुआ है। एक महीने पहले सरसों 55 रुपये प्रति किलो बिक रही थी और उस समय सरसों तेल 150 रुपये प्रति लीटर था। लेकिन अब सरसों की कीमत 72 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है, जिससे तेल के दाम 180 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं।
बढ़ते दामों से त्योहारी सीजन पर असर
सावन महीने की शुरुआत और उसके साथ त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। इस समय घरेलू खपत में तेजी आती है। ऐसे समय में तेल के दामों में बढ़ोतरी ने आम उपभोक्ताओं को अतिरिक्त आर्थिक दबाव में डाल दिया है। तेल का उपयोग हर घर में रोजाना होता है। इसलिए इसकी कीमत में बदलाव का सीधा असर हर परिवार के मासिक बजट पर पड़ता है।
आवक में गिरावट, सप्लाई चेन पर असर
व्यापारियों का कहना है कि बाजार में सरसों की आवक में लगातार गिरावट आई है। किसानों के पास सीमित स्टॉक है और नई फसल आने में समय है। जिससे कमी और कीमत बढ़ने का सिलसिला जारी है। इस कारण तेल मिलें भी सीमित मात्रा में उत्पादन कर रही हैं। जिससे आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
खपत बढ़ी, लेकिन स्टॉक सीमित
विशेषज्ञ बताते हैं कि जैसे-जैसे बरसात और त्योहारों का समय आता है, वैसे-वैसे खपत बढ़ जाती है। लेकिन इस बार स्टॉक की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। कई तेल कारोबारी पहले से ही बढ़ती कीमतों की आशंका जता चुके थे और अब वह सच होती नजर आ रही है।
तेल व्यापारियों की चेतावनी
तेल कारोबारियों का कहना है कि अगर सरसों की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो आने वाले हफ्तों में तेल के दाम 190 से 200 रुपये प्रति लीटर तक भी पहुंच सकते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सप्लाई चेन को सुचारू रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएं, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
सरकार से राहत की उम्मीद
महंगाई की मार झेल रहे उपभोक्ताओं को सरकार से राहत की उम्मीद है। अगर सरकार बफर स्टॉक से सरसों की आपूर्ति बढ़ा दे या निर्यात पर नियंत्रण लगाए, तो कीमतों पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। फिलहाल बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
घरेलू उपभोक्ताओं को सलाह
तेल विक्रेताओं ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अनावश्यक जमाखोरी से बचें और तेल की खपत को नियंत्रित करें। अगर खपत संतुलित बनी रही, तो बाजार में संतुलन बनाए रखना आसान होगा और कीमतों में और उछाल नहीं आएगा।