Liquor Overcharging Case: जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने शराब की अधिक कीमत वसूलने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए शराब ठेका संचालक को अतिरिक्त वसूली की राशि के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। यह फैसला उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और शराब विक्रेताओं में जवाबदेही तय करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
30 रुपये अतिरिक्त लिए, अब देने होंगे 7000 रुपये
आयोग ने आदेश दिया है कि शराब ठेका संचालक को परिवादी से वसूले गए 30 रुपये वापस करने होंगे। इसके अलावा मानसिक उत्पीड़न और क्षतिपूर्ति के तौर पर 5000 रुपये और परिवाद व्यय के लिए 2000 रुपये की राशि 45 दिन के भीतर भुगतान करनी होगी। यदि तय समय पर भुगतान नहीं किया गया तो नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा।
आयोग की सुनवाई में सामने आई सच्चाई
यह मामला मंगलवार को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, देहरादून में अध्यक्ष पुष्पेंद्र खरे और सदस्य अल्का नेगी की पीठ के समक्ष सुनवाई में आया। परिवादी अजय कौशिक, निवासी मियांवाला ने एक जुलाई 2021 को यह वाद दर्ज कराया था।
150 की जगह 180 रुपये लिए गए थे
परिवादी ने अपने वाद में कहा कि 10 अप्रैल 2021 की रात 9:51 बजे, उन्होंने रिस्पना पुल स्थित शास्त्रीनगर के शराब ठेके से एक इंपीरियल ब्लू क्वाटर खरीदा था। बोतल की कीमत 150 रुपये निर्धारित थी. लेकिन विक्रेता ने 180 रुपये वसूल लिए। भुगतान उन्होंने कैनरा बैंक के एटीएम कार्ड से किया। जब उन्होंने अतिरिक्त पैसे लेने का कारण पूछा, तो विक्रेता ने अभद्रता की।
विक्रेता को भेजा गया था कानूनी नोटिस
परिवादी ने अपने वकील के माध्यम से 15 अप्रैल 2021 को आबकारी विभाग, और 21 अप्रैल 2021 को शराब ठेका संचालक को कानूनी नोटिस भेजा। लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। बाद में मामला आयोग में पहुंचा।
विपक्षी ने किया इंकार, लेकिन जांच में आरोप सही पाए गए
आयोग की नोटिस के जवाब में शराब ठेका संचालक ने सफाई दी कि परिवादी ने इंपीरियल ब्लू नहीं, बल्कि रॉयल स्टैग का क्वाटर खरीदा था, जिसकी कीमत 180 रुपये है। लेकिन आबकारी विभाग की जांच में यह आरोप गलत साबित हुआ और पाया गया कि वास्तव में इंपीरियल ब्लू ही खरीदी गई थी।
आयोग का निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच के बाद आयोग ने परिवादी के पक्ष में निर्णय सुनाया। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी मूल्य से अधिक वसूली करना उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है और इस पर कठोर कार्रवाई जरूरी है।
आबकारी विभाग को भी दिए गए सख्त निर्देश
फैसले में आयोग ने आबकारी विभाग को निर्देशित किया कि वह ऐसे शराब ठेका संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे जो शराब को निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर बेचते हैं। इस आदेश को भविष्य में अन्य उपभोक्ताओं के लिए मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।