Happy Card Scheme: हरियाणा सरकार द्वारा अंत्योदय परिवारों के लिए चलाई जा रही हैप्पी कार्ड योजना अब जांच के दायरे में आ गई है. परिवहन मंत्री अनिल विज ने इस योजना को लेकर तथ्यात्मक जांच के आदेश दे दिए हैं. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस निर्णय के पीछे वास्तविक कारण क्या हैं.
क्या है हैप्पी कार्ड योजना?
हरियाणा परिवहन विभाग द्वारा अंत्योदय कार्ड धारकों को राज्य की रोडवेज बसों में 1000 किलोमीटर तक मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाती है. इसके लिए हैप्पी कार्ड बनाए जाते हैं, जिनका प्रयोग केवल राज्य परिवहन की बसों में किया जा सकता है.
1.44 लाख कार्ड अब तक नहीं उठाए गए
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 37 डिपो और उपडिपो में लगभग 1.44 लाख हैप्पी कार्ड पड़े हुए हैं, जिन्हें अब तक लाभार्थियों ने नहीं उठाया है. यह स्थिति कई महीनों से बनी हुई है और यही कारण माना जा रहा है कि सरकार ने योजना की समीक्षा और जांच का निर्णय लिया है.
क्यों उठे हैं सवाल?
यह समझ से परे है कि जब अंत्योदय परिवारों को मुफ्त यात्रा की सुविधा मिल रही है, तब भी इतनी बड़ी संख्या में कार्ड डिपो में पड़े रह गए हैं. इससे यह आशंका भी जताई जा रही है कि कहीं योजना में तकनीकी खामी, सूचना की कमी या प्रक्रिया की जटिलता तो नहीं है.
क्या अब नए हैप्पी कार्ड नहीं मिलेंगे?
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल हैप्पी कार्ड बनाने की प्रक्रिया रोक दी गई है. यानी जिन लोगों ने अब तक आवेदन नहीं किया है, उन्हें अगली सूचना तक नया कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. हालांकि सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं हुआ है.
जांच के दायरे में कौन-कौन?
हालांकि परिवहन मंत्री ने सिर्फ ‘जांच शुरू’ करने की बात कही है, लेकिन समझा जा रहा है कि यह योजना के संचालन, वितरण प्रक्रिया, प्रचार-प्रसार और उपयोग दर को लेकर हो सकती है. संभव है कि संबंधित डिपो अधिकारियों, एजेंसी या ठेकेदारों की भूमिका की भी समीक्षा की जाए.
योजना की पारदर्शिता और पहुंच पर उठे सवाल
हैप्पी कार्ड योजना का उद्देश्य था गरीब परिवारों को कम से कम यात्रा खर्च में राहत देना. लेकिन जब योजना के लाभार्थी ही कार्ड लेने नहीं आ रहे हैं, तो सवाल उठना लाज़मी है —
क्या लोगों को योजना की जानकारी नहीं मिली?
क्या आवेदन की प्रक्रिया बहुत कठिन है?
या क्या उन्हें योजना की उपयोगिता नहीं समझाई गई?
भविष्य में क्या हो सकता है?
यदि जांच में गंभीर खामियां सामने आती हैं, तो संभव है कि योजना को नए ढांचे या तकनीकी सुधार के साथ दोबारा लागू किया जाए. वहीं, यदि योजना राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में बंद की जाती है, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान उन्हीं गरीब परिवारों को होगा, जिनके लिए यह योजना बनी थी.
सरकार से क्या उम्मीद की जाए?
- परिवहन मंत्री के इस फैसले के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि
- योजना की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी.
- लाभार्थियों तक सीधी पहुंच सुनिश्चित की जाएगी.
- यदि प्रक्रिया में कोई खामी है, तो उसे सुधार कर योजना को फिर से चालू किया जाएगा.