Banking Rule Change: भारत के बैंकिंग क्षेत्र और डिजिटल लेनदेन प्रणाली में 1 अगस्त 2025 से कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू हो गए हैं. ये बदलाव दो मुख्य स्तंभों पर आधारित हैं – बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम-2025 और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा जारी किए गए यूपीआई के नए दिशा-निर्देश. इनका उद्देश्य बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाना, जमाकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाना, और डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में पारदर्शिता लाना है.
बैंकिंग कानून में बड़े संशोधन, पांच प्रमुख अधिनियमों में बदलाव
बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम-2025 के तहत पांच मौजूदा बैंकिंग कानूनों में कुल 19 संशोधन किए गए हैं. इनमें शामिल हैं:
- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
- भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955
- बैंकिंग कंपनियां (अधिग्रहण और हस्तांतरण), 1970 व 1980
- इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य है – बैंक प्रशासन में सुधार, निवेशकों की सुरक्षा, और ऑडिट की गुणवत्ता को बेहतर बनाना.
निवेश सीमा में बड़ा बदलाव
अब किसी कंपनी में किसी बैंक का “पर्याप्त हित” यानी Substantial Interest रखने की न्यूनतम निवेश सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दिया गया है. यह संशोधन 1968 के बाद पहली बार हुआ है, जो आज के वित्तीय वातावरण के अनुसार अधिक प्रासंगिक और प्रभावी माना जा रहा है.
सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ा
सहकारी बैंकों में अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों को छोड़कर अन्य निदेशकों का कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है. यह निर्णय 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप लिया गया है. इससे सतत नेतृत्व और दीर्घकालिक रणनीति को बढ़ावा मिलेगा.
सार्वजनिक बैंकों को मिले नए अधिकार और सहूलियतें
अब सार्वजनिक बैंकों को क्लेम न किए गए शेयर, ब्याज और बॉन्ड राशि को सीधे निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF) में ट्रांसफर करने की अनुमति मिल गई है. इसके अलावा, उन्हें वैधानिक लेखा परीक्षकों को पारिश्रमिक देने का अधिकार भी दिया गया है, जिससे गुणवत्ता वाले ऑडिटर्स की नियुक्ति संभव हो सकेगी.
UPI सिस्टम में बदलाव
NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने यूपीआई सर्वर पर लोड कम करने और डिजिटल ट्रांजैक्शन को सुरक्षित व व्यवस्थित करने के लिए कई नए नियम लागू किए हैं.
- बैलेंस चेक और अकाउंट व्यू की सीमाएं
बैलेंस चेक: 24 घंटे में अधिकतम 50 बार
लिंक्ड बैंक खातों की सूची देखने की सीमा: दिन में 25 बार
यह व्यवस्था फ्रॉड रिस्क को कम करने और सर्वर लोड कंट्रोल में रखने के लिए है.
- ऑटोपे ट्रांजैक्शन टाइमिंग
ऑटोपे (AutoPay) जैसे OTT सब्सक्रिप्शन या SIP जैसे लेनदेन व्यस्त समय में नहीं हो पाएंगे:
सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक – प्रतिबंधित
शाम 5 बजे से रात 9:30 तक – प्रतिबंधित
अन्य समय में – अनुमति (सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे तक, रात 9:30 के बाद)
यह फैसला ट्रांजैक्शन की सफलता दर बढ़ाने और सर्वर स्टेबिलिटी बनाए रखने के लिए है.
- फेल्ड ट्रांजैक्शन और स्टेटस चेक नियम
फेल्ड ट्रांजैक्शन: 1 मुख्य प्रयास + अधिकतम 3 बार पुनः प्रयास
स्टेटस चेक: फेल्ड ट्रांजैक्शन की स्थिति देखने के लिए 90 सेकंड इंतजार करना होगा. हर 2 घंटे में अधिकतम 3 बार चेक किया जा सकता है.
इससे ट्रांजैक्शन स्पैमिंग और सिस्टम ओवरलोड की समस्या से राहत मिलेगी.
- ICICI बैंक का नया चार्ज सिस्टम
ICICI बैंक ने पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) के माध्यम से किए गए यूपीआई ट्रांजैक्शनों पर चार्ज लागू कर दिए हैं:
चार्ज रेट: 0.02% से 0.04%
अधिकतम शुल्क:
Escrow अकाउंट धारकों के लिए: ₹6 प्रति ट्रांजैक्शन
अन्य सभी के लिए: ₹10 प्रति ट्रांजैक्शन
इससे जुड़े व्यवसायों को अपने कास्ट स्ट्रक्चर में बदलाव करना पड़ सकता है.
अगस्त में लागू अन्य वित्तीय बदलाव
एसबीआई क्रेडिट कार्ड पर बीमा सुविधा बंद
11 अगस्त 2025 से SBI के को-ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाली फ्री एयर एक्सीडेंट इंश्योरेंस सुविधा बंद कर दी जाएगी. इससे कार्डधारकों को अब अलग से बीमा लेना पड़ सकता है.
RBI की MPC बैठक और रेपो रेट अपडेट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 से 7 अगस्त 2025 के बीच होगी. इसमें रेपो रेट और अन्य ब्याज दरों में संशोधन की संभावनाएं हैं, जो ऋण और निवेश पर सीधा असर डाल सकती हैं.