Veterinary Services Haryana: हरियाणा में पशु चिकित्सा सेवाओं की बदहाली और झोलाछाप इलाज की बढ़ती घटनाओं पर अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने इसे पशुओं की सुरक्षा, जनस्वास्थ्य और राज्य की अर्थव्यवस्था से जुड़ा अहम मुद्दा मानते हुए सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने पारित किया निर्णायक आदेश
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने यह आदेश हरियाणा पशु चिकित्सक महासंघ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि यह मसला केवल पशुओं की चिकित्सा का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है।
बिना वैध निगरानी चल रही हैं झोलाछाप सेवाएं
याची पक्ष की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में हजारों Veterinary Livestock Development Assistants (V.L.D.A.) कार्यरत हैं, जो कानूनी प्रावधानों के खिलाफ जाकर पशु चिकित्सा सेवाएं दे रहे हैं। भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम 1984 की धारा 30 के अनुसार ये सहायक केवल प्राथमिक सेवाएं ही दे सकते हैं. वह भी पंजीकृत पशु चिकित्सक की निगरानी में। मगर हकीकत यह है कि एक डॉक्टर को 30-40 किमी के दायरे में 4-5 डिस्पेंसरियों की जिम्मेदारी दी जाती है. जिससे निगरानी असंभव हो जाती है।
प्रशासनिक ढिलाई ने बढ़ाई झोलाछाप प्रवृत्ति
इस निगरानी के अभाव और प्रशासनिक लापरवाही की वजह से झोलाछाप इलाज करने वालों को बढ़ावा मिला। बिना प्रशिक्षण और निगरानी के टीकाकरण, बधियाकरण और इलाज जैसे संवेदनशील कार्य खुलेआम हो रहे हैं। इससे पशुओं का जीवन संकट में पड़ गया है, साथ ही मानव स्वास्थ्य और राज्य की पशुधन आधारित अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।
याचिकाकर्ता ने की थी बार-बार शिकायत
हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि इस मुद्दे पर विभिन्न स्तरों पर कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 2018 में भेजे गए दो ज्ञापनों पर भी अब तक कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आया। इस स्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता को अंततः न्याय के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा।
कोर्ट ने दिए 30 दिन में कार्रवाई के आदेश
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा 18 जून 2018 को भेजे गए ज्ञापनों पर 30 दिन के भीतर एक स्पष्ट, कारण सहित निर्णय पारित करे। साथ ही इस निर्णय की सूचना याचिकाकर्ता को भी दी जाए। कोर्ट ने कहा कि सरकार की ढुलमुल नीति अब और नहीं चलेगी, और वैध और सुरक्षित पशु चिकित्सा सेवाओं को सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है।
पशु चिकित्सक महासंघ ने जताई संतुष्टि
हरियाणा पशु चिकित्सक महासंघ ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह राज्य में पशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार को सभी पशु चिकित्सा केंद्रों पर पंजीकृत डॉक्टरों की नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि झोलाछाप प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सके।
विशेषज्ञों की राय
पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति विश्लेषकों ने चेताया है कि यदि झोलाछाप सेवाओं को अब भी नियंत्रित नहीं किया गया, तो इससे दूध, मांस और अन्य पशु उत्पादों की गुणवत्ता प्रभावित होगी, और मानव स्वास्थ्य पर भी दीर्घकालिक खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसलिए इस फैसले को न केवल कानूनी रूप से बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।