Tubewell Surcharge Waiver: हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने एक और अहम फैसला लेकर राज्य के किसानों को बड़ी राहत दी है. अब ट्यूबवेल कनेक्शन को स्थानांतरित (शिफ्ट) करने पर किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क (सरचार्ज) नहीं देना होगा. बशर्ते यह शिफ्टिंग 70 मीटर की सीमा के भीतर हो. इस फैसले का लाभ अब दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) के अंतर्गत आने वाले किसानों को भी मिलेगा. इससे पहले उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) द्वारा यह सुविधा लागू की जा चुकी है.
DHBVN ने अधिसूचना जारी कर दी छूट
DHBVN द्वारा हाल ही में जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि यदि कोई किसान अपने एग्रीकल्चर पॉवर ट्यूबवेल कनेक्शन को अपनी ही जमीन पर 70 मीटर के भीतर शिफ्ट करवाना चाहता है, तो उससे अब कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा. यह निर्णय किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. जिससे उन्हें प्राकृतिक या प्रशासनिक कारणों से होने वाली दिक्कतों में राहत मिल सके.
किन परिस्थितियों में मिलेगी यह सुविधा?
हालांकि सरकार ने यह सुविधा कुछ विशेष परिस्थितियों तक सीमित रखी है. केवल उन्हीं मामलों में ट्यूबवेल शिफ्टिंग पर छूट मिलेगी. जहां किसान की मजबूरी वैध और विवशता की स्थिति में हो. इन परिस्थितियों में शामिल हैं बोरवेल का फेल हो जाना, पानी में अत्यधिक खारापन आना, सरकारी भूमि अधिग्रहण होना, भूमि विवाद या कोई अन्य वैधानिक बाध्यता इन सभी में यह स्पष्ट किया गया है कि किसान की समस्या उसके नियंत्रण से बाहर की होनी चाहिए.
UHBVN पहले ही कर चुका है पहल
इससे पहले उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) ने भी इस तरह की सुविधा लागू कर दी थी. UHBVN के मुख्य अभियंता की ओर से सभी अधीक्षण अभियंताओं, कार्यकारी अभियंताओं और उपमंडल अधिकारियों को आदेश दिए गए थे कि यदि कोई किसान अपने ट्यूबवेल कनेक्शन को मूल स्थान से 70 मीटर के दायरे में शिफ्ट करना चाहता है, तो उससे कोई खर्च नहीं लिया जाएगा.
70 मीटर की सीमा में ही मिलेगा लाभ
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह छूट सिर्फ 70 मीटर तक के दायरे में दी जाएगी. यदि कोई किसान इससे अधिक दूरी पर कनेक्शन शिफ्ट कराना चाहता है, तो उसे सामान्य प्रक्रिया और शुल्क के अनुसार आवेदन करना होगा.
सरकार की मंशा
हरियाणा सरकार का यह निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि वह किसानों की समस्याओं को समझते हुए व्यवहारिक समाधान निकाल रही है. सरकार मानती है कि बोर फेल हो जाने या भूमि अधिग्रहण जैसी घटनाएं किसानों की गलती नहीं होती. इसलिए उनसे जुड़ा कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी उन पर नहीं डाला जाना चाहिए.
बिजली वितरण निगमों के लिए क्या हैं निर्देश?
DHBVN और UHBVN दोनों निगमों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे किसानों से जुड़ी हर ऐसी शिफ्टिंग मांग को प्राथमिकता पर देखें और यदि मामला सरकार की तय शर्तों के तहत आता है, तो तुरंत प्रक्रिया शुरू करें और किसी भी तरह का सरचार्ज ना वसूला जाए.
किसानों को क्या करना होगा? आवेदन की प्रक्रिया सरल
यदि कोई किसान इस सुविधा का लाभ लेना चाहता है, तो उसे अपने क्षेत्र के बिजली उपमंडल कार्यालय में जाकर संबंधित फॉर्म और दस्तावेज जमा करने होंगे. इसमें ज़मीन की स्थिति, बोर फेल होने का प्रमाण या सरकारी अधिग्रहण की सूचना शामिल हो सकती है. अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे किसानों को अनावश्यक परेशानी में न डालें और आवेदन मिलने पर तुरंत उसका समाधान करें.
इस फैसले से कैसे होगा किसानों को फायदा?
- कृषि कार्यों में व्यवधान नहीं
- अतिरिक्त शुल्क से राहत
- बिजली कनेक्शन स्थानांतरित करने में प्रक्रिया सरल
- प्राकृतिक या प्रशासनिक कारणों से हुई दिक्कतों का त्वरित समाधान
- जल संकट वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक व्यवस्था की सुविधा