राजस्थान के 11 गांवों में पूरी तरह बैन हुई शराब, शराब पीने और बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई का नियम Village Liquor Ban

Village Liquor Ban: राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड ब्लॉक में जनजाति गरासिया समाज ने नशे के खिलाफ जो उदाहरण पेश किया है, वह पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बन गया है. जहां एक ओर सरकार राजस्व के नाम पर शराबबंदी से दूरी बनाए हुए है, वहीं गरासिया समाज ने खुद ही पहल करते हुए अपने 11 गांवों में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू कर दिया है.

समाज ने लिया सख्त निर्णय

गरासिया समाज ने न केवल शराब बेचने पर रोक लगाई है, बल्कि पीने को भी अपराध की श्रेणी में रखा है. समाज की पंचायतों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को आर्थिक दंड और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा.

नियमित बैठकों से बदला नजरिया

इस बदलाव की शुरुआत गरासिया समाज विकास सेवा समिति की नियमित बैठकों से हुई. समाज के पंच-पटेल, सरपंच, वकील, शिक्षित युवा और समाजसेवी इसमें सक्रिय रूप से जुड़े हैं. इन बैठकों में यह समझ बना कि नशा न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि यह अपराध, दुर्घटनाओं और सामाजिक विघटन का भी कारण बनता है.

यह भी पढ़े:
14,15,16,17 अगस्त की छुट्टी घोषित, लगातार 4 दिन बंद रहेंगे स्कूल,कॉलेज और दफ्तर School Holiday

इन गांवों में लागू है शराबबंदी

अब तक आबूरोड ब्लॉक के 11 गांवों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा चुका है. ये गांव हैं:

  • बहादुरपुरा
  • मुदरला
  • उपलाखेजड़ा
  • निचलाखेजड़ा
  • पाबा
  • रणोरा
  • दानबोर
  • भमरिया
  • बूजा
  • उपलागढ़
  • चंडेला

इन गांवों की खास बात यह है कि यहां शराब की कोई दुकान मौजूद ही नहीं है.

शराब में चिल्लाने पर भी होता है जुर्माना

बहादुरपुरा गांव में यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर चिल्लाता (तैर करता) है, तो उस पर भी जुर्माना लगाया जाता है. इस सामाजिक व्यवस्था के जरिए गांव के लोग शांति और अनुशासन बनाए रखने में सफल रहे हैं.

यह भी पढ़े:
Veterinary Services Haryana हरियाणा में झोलाछाप डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई, हाईकोर्ट ने दिए सख्त आदेश Veterinary Services Haryana

शराब बेचने पर ₹25,000 का जुर्माना

समाज ने शराब बेचने पर ₹25,000 का आर्थिक दंड निर्धारित किया है. हालांकि पहली बार उल्लंघन करने पर चेतावनी और सुधार का अवसर भी दिया जाता है. यदि व्यक्ति इसके बाद भी नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। ताकि उसे अपनी गलती का एहसास हो.

क्यों उठाना पड़ा समाज को यह कदम

गरासिया समाज के पंच-पटेलों और वरिष्ठ सदस्यों ने माना कि शराब की लत ने समाज को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है.

  • परिवार बिखर रहे थे
  • सड़क हादसों में जानें जा रही थीं
  • बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे थे
  • घरेलू हिंसा और अपराध बढ़ रहे थे

इन कारणों से समाज को सख्ती के साथ निर्णय लेना पड़ा। ताकि अगली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य दिया जा सके.

यह भी पढ़े:
आज जारी होगी किसान योजना की 20वीं किस्त. केवल इन्ही किसानों को मिलेंगे 2000 रूपए PM Kisan 20th installment

दूसरी कुरीतियों पर भी लगाई जा रही है लगाम

केवल शराब पर ही नहीं, बल्कि समाज अन्य कुप्रथाओं और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी एकजुट होकर खड़ा हो रहा है. बाल विवाह, घरेलू हिंसा और नशाखोरी जैसे मुद्दों पर भी गरासिया समाज सख्त रवैया अपना रहा है.

समाज के नेताओं ने क्या कहा?

नरसाराम, जिलाध्यक्ष, गरासिया समाज विकास सेवा समिति, सिरोही ने कहा “हमने समाजहित में यह निर्णय लिया है. आबूरोड ब्लॉक के 11 गांवों में शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. उल्लंघन पर आर्थिक दंड तय है.” देवाराम गरासिया, सदस्य, पंचायत समिति, आबूरोड ने कहा “अगर सभी आदिवासी गांवों में शराबबंदी हो जाए तो युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा. नहीं तो नाबालिग बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ सकते हैं.”

देश के लिए आदर्श बन सकता है यह मॉडल

गरासिया समाज की यह पहल सिर्फ एक सामाजिक आंदोलन नहीं. बल्कि देश के अन्य ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों के लिए एक उदाहरण बन सकता है. अगर समाज खुद आगे आकर नशा और कुरीतियों के खिलाफ एकजुट हो जाए, तो किसी भी कानून या सरकार की आवश्यकता नहीं रह जाती.

यह भी पढ़े:
चंडीगढ़ की इन सड़कों पर नही चलेंगे ई-रिक्शा, ट्रैफिक पुलिस का सख्त आदेश E-Rickshaw Ban

Radhika Yadav

Radhika Yadav is an experienced journalist with 5 years in digital media, covering latest news, sports, and entertainment. She has worked with several top news portals, known for her sharp insights and engaging reporting style.

Leave a Comment

Join WhatsApp Group