School Holiday: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में अगले कुछ दिनों में अति भारी बारिश की संभावना जताई गई है. मौसम विभाग, जयपुर द्वारा जारी चेतावनी के बाद जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है. इसके तहत जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को दो दिन के लिए बंद रखने का आदेश जारी किया गया है.
28 और 29 जुलाई को दो दिन की छुट्टी
जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बताया कि 28 और 29 जुलाई को कक्षा 1 से 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए अवकाश घोषित किया गया है. इसके साथ ही जिले की सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी दो दिन के लिए बंद रखने का आदेश दिया गया है. यह छुट्टी केवल बच्चों के लिए लागू होगी.
शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य स्टाफ को दैनिक कार्य हेतु उपस्थित रहना होगा.
यह आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत लिया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि इसे कानूनी रूप से गंभीरता से लिया जाएगा.
क्यों लिया गया यह फैसला?
प्रशासन का यह फैसला पूरी तरह से बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. मौसम विभाग के अनुसार, चित्तौड़गढ़ में अगले 48 घंटों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है, जिससे सड़कें जलमग्न, आवागमन बाधित और बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं.
कलेक्टर आलोक रंजन ने कहा कि तेज बारिश के दौरान बच्चों का स्कूल आना-जाना जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए यह छुट्टी एहतियातन दी गई है, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे और बच्चों को सुरक्षित घर पर रखा जा सके.
स्कूल और आंगनबाड़ी को बंद रखने के सख्त निर्देश
- जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि किसी भी स्थान पर स्कूल या आंगनबाड़ी केन्द्र खुले पाए गए, तो संबंधित संस्था प्रभारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
- यह कार्रवाई भी आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत की जाएगी, जिसमें कानूनी सजा और अनुशासनात्मक कदम शामिल हो सकते हैं.
- सभी शिक्षण संस्थानों को आदेश का कड़ाई से पालन करने की हिदायत दी गई है.
शिक्षकों को कार्य पर उपस्थित रहना अनिवार्य
- हालांकि, यह अवकाश केवल विद्यार्थियों के लिए ही है. स्कूलों के शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य स्टाफ को अपनी ड्यूटी पर रोज़ की तरह उपस्थित रहना होगा.
- प्रशासन का मानना है कि स्कूलों और आंगनबाड़ियों का आंतरिक कामकाज एवं प्रशासनिक कार्य निरंतर जारी रहना चाहिए, ताकि छुट्टी के बाद पढ़ाई में किसी प्रकार की रुकावट न आए.
- आदेश का उद्देश्य: आपदा में बच्चों की सुरक्षा
- इस फैसले का मूल उद्देश्य यह है कि भारी बारिश के दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.
- यदि किसी क्षेत्र में सड़कें टूटती हैं, पानी भरता है या परिवहन बाधित होता है, तो बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा हो सकता है.
- इस निर्णय से बच्चों को सुरक्षित रखने और उनके परिजनों को चिंता से मुक्त रखने का प्रयास किया गया है.
आम जनता और संस्थानों से सहयोग की अपील
- जिला प्रशासन ने सभी शैक्षणिक संस्थानों और अभिभावकों से अपील की है कि वे इस आदेश को गंभीरता से लें और बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज करें.
- प्रशासन ने कहा है कि यह निर्णय सामान्य स्थिति में नहीं, बल्कि एक संभावित आपदा की स्थिति को देखते हुए लिया गया है.
- यदि सभी सहयोग करें तो कोई भी बड़ी दुर्घटना टाली जा सकती है.
स्कूल और आंगनबाड़ी में निरीक्षण की भी व्यवस्था
- प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षण भी करेगा कि कहीं आदेश की अवहेलना तो नहीं हो रही.
- अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों का दौरा करें.
- अगर कहीं भी आदेश के विरुद्ध बच्चों को बुलाया गया या संस्थान खोले गए, तो तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
बारिश से पहले एहतियात ही सबसे बड़ी सुरक्षा
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का पालन करते हुए लिया गया यह निर्णय पूर्व चेतावनी पर आधारित सुरक्षा उपाय है.
- प्रशासन चाहता है कि बारिश से पहले हर संभव सावधानी बरती जाए, ताकि जिले में कोई जान-माल का नुकसान न हो.
- इस निर्णय से न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्कूलों के प्रबंधन को भी यह समझने का मौका मिलेगा कि आपदा की स्थिति में कैसी तैयारी करनी चाहिए.