Crop Compensation: हरियाणा के किसानों को बड़ी राहत मिली है. राज्य सरकार ने ओलावृष्टि और भारी बारिश के चलते रबी फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 22 हजार 617 किसानों के खातों में 52 करोड़ 14 लाख रुपये की मुआवजा राशि ट्रांसफर की है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह राशि एक विशेष कार्यक्रम के दौरान जारी की.
‘क्षतिपूर्ति पोर्टल’ बना मुआवजे की गणना का आधार
फसल नुकसान का आंकलन हरियाणा सरकार के ‘क्षतिपूर्ति पोर्टल’ के माध्यम से किया गया, जिसे राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने विकसित किया है. मुख्यमंत्री ने मंत्री विपुल गोयल की उपस्थिति में विभाग की नई वेबसाइट भी लॉन्च की.
दिसंबर 2024 से मार्च 2025 तक किसानों को इस पोर्टल पर अपने नुकसान की जानकारी दर्ज कराने का मौका दिया गया था. प्राप्त आंकड़ों का विस्तृत मूल्यांकन और सत्यापन के बाद मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की गई.
15 जिलों के किसानों को मिला मुआवजा
राज्य सरकार ने 57,485 एकड़ कृषि भूमि को मुआवजे के योग्य पाया है. इस सर्वे में हरियाणा के 15 जिले शामिल किए गए, जिनमें अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, रेवाड़ी, रोहतक और यमुनानगर शामिल हैं.
प्रत्येक जिले में प्रभावित किसानों की पहचान कर सरकारी मानदंडों के अनुसार मुआवजा जारी किया गया.
रेवाड़ी के किसानों को सबसे ज्यादा लाभ
मुआवजा वितरण में रेवाड़ी जिला सबसे आगे रहा, जहां किसानों को ₹19.92 करोड़ की सहायता दी गई. इसके अलावा:
- महेंद्रगढ़: ₹10.74 करोड़
- झज्जर: ₹8.33 करोड़
- गुरुग्राम: ₹4.07 करोड़
- चरखी दादरी: ₹3.67 करोड़
- भिवानी: ₹2.24 करोड़
अन्य जिलों में भी किसानों को प्रभाव के स्तर और पंजीकृत दावों के आधार पर राशि जारी की गई है.
मुआवजे की गणना का तरीका
प्रत्येक किसान को दी जाने वाली राशि की गणना उनके क्षेत्र की सत्यापित फसल क्षति के आधार पर की गई. इसके लिए सरकार ने आपदा राहत मानकों को आधार बनाया.
जिला प्रशासन की भूमिका इस प्रक्रिया में बेहद अहम रही—क्योंकि उन्होंने दावों की जांच, फील्ड रिपोर्टिंग और पात्र किसानों की अंतिम सूची तैयार की.
सरकार का उद्देश्य
मुख्यमंत्री सैनी ने बताया कि यह मुआवजा इसलिए जारी किया गया है ताकि रबी सीजन में मौसम की मार झेलने वाले किसान जल्द आर्थिक रूप से संभल सकें.
राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी पात्र किसान को अनदेखा न किया जाए और उन्हें समय पर मदद मिले.
‘क्षतिपूर्ति पोर्टल’ से पारदर्शिता और रफ्तार
इस अभियान में डिजिटल पोर्टल का प्रयोग किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हुआ है. इससे:
- मुआवजा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रही
- दावा प्रक्रिया तेज हुई
- भ्रष्टाचार की संभावना घटी
- यह पोर्टल भविष्य में भी किसानों के लिए रियल टाइम रिपोर्टिंग और फसल नुकसान दर्ज करने का सशक्त जरिया बनेगा.
भविष्य में और बेहतर राहत की तैयारी
- राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने संकेत दिए हैं कि क्षति आकलन प्रणाली को और आधुनिक बनाया जाएगा. साथ ही मौसम आधारित बीमा और अन्य सहायता योजनाओं को भी इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा.
- सरकार का उद्देश्य है कि हर मौसम आपदा के बाद त्वरित राहत पहुंचाना और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखना.