Himachal Viral Wedding: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की एक अनोखी शादी एक बार फिर सुर्खियों में है. इस शादी में दो सगे भाइयों ने एक ही युवती से विवाह किया था, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई. अब इन तीनों की नई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें दुल्हन अपने दोनों पतियों के साथ मंदिर में देखी जा सकती है.
मंदिर दर्शन की तस्वीरें फिर से वायरल
ताजा तस्वीरों में सुनीता नाम की दुल्हन, अपने दोनों पतियों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी के साथ नजर आ रही हैं. तस्वीरें किसी स्थानीय मंदिर के बाहर की हैं. बताया जा रहा है कि शादी के बाद तीनों ने मिलकर मंदिर में पूजा की और सामूहिक माथा टेकने पहुंचे. तस्वीरों में सुनीता ने नीले रंग का सूट पहना है और सिर पर दुपट्टा लिया हुआ है. वहीं दोनों भाइयों ने सफेद शर्ट पहन रखी है.
समाज में चर्चा और बहस दोनों
इस अनोखी शादी की तस्वीरें पहले भी वायरल हुई थीं और अब मंदिर दर्शन की तस्वीरों ने एक बार फिर बहुपति विवाह पर सामाजिक बहस छेड़ दी है. सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोग इस परंपरा को सांस्कृतिक धरोहर मान रहे हैं, वहीं कई इसे कानूनी और सामाजिक दृष्टि से अनुचित बता रहे हैं.
क्या है बहुपति विवाह?
बहुपति विवाह का इतिहास भारत के कुछ खास क्षेत्रों में रहा है. हिमाचल के हाटी समुदाय में यह परंपरा आज भी जीवित है. इस प्रथा के तहत एक महिला दो या अधिक भाइयों से विवाह कर सकती है. इसके पीछे दो प्रमुख कारण बताए जाते हैं:
परिवार की एकता बनाए रखना
संपत्ति के विभाजन से बचाव
इस परंपरा को स्थानीय भाषा में “जोड़ीदारा विवाह” कहा जाता है. इसमें बारात दुल्हन के घर नहीं जाती बल्कि दूल्हों के घर लायी जाती है. शादी रमलसार पूजा और सिन्ज रस्म से पूरी होती है, जिसमें कोई फेरे नहीं लिए जाते.
सुनीता की शादी कैसे हुई थी वायरल?
कुछ दिनों पहले, सुनीता चौहान ने सिरमौर जिले के दो भाइयों – प्रदीप और कपिल नेगी से एक ही समय में विवाह किया था. यह शादी पूरे गांव और आसपास के इलाकों में चर्चा का विषय बन गई थी. सोशल मीडिया पर शादी की तस्वीरें खूब वायरल हुई थीं.
हाटी समुदाय की मान्यता, लेकिन क्या है कानूनी स्थिति?
हाटी समुदाय की परंपरा के अनुसार, इस तरह की शादियों को सामाजिक मान्यता प्राप्त है. लेकिन कानूनी नजरिए से, बहुपति विवाह भारत में मान्य नहीं है.
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 के अनुसार, एक विवाह में केवल एक पति और एक पत्नी होना अनिवार्य है. इसका अर्थ यह हुआ कि एक महिला के दो पतियों से विवाह कानूनन वैध नहीं माना जा सकता. यही वजह है कि इस प्रकार के विवाहों पर अक्सर कानूनी बहस खड़ी हो जाती है.
क्या कहता है समाज?
इस विषय पर लोगों की राय बंटी हुई है.
- समर्थकों का कहना है कि यह शादी हाटी समुदाय की पुरानी सांस्कृतिक परंपरा है, जो आज भी जीवित है.
- आलोचकों का मानना है कि इस तरह की शादी स्त्री की गरिमा और व्यक्तिगत अधिकारों के खिलाफ है और कानून का उल्लंघन भी है.
क्या सरकार को इस पर सोचना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी समुदाय की परंपरा कानूनी व्यवस्था के खिलाफ है, तो उस पर संविधान के अनुसार विचार किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, यह भी जरूरी है कि अगर ऐसी परंपराएं आज भी प्रचलन में हैं, तो उनकी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक असर पर भी रिसर्च हो.
बहुपति विवाह की ऐतिहासिक झलक
भारत के कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में बहुपति विवाह की ऐतिहासिक मौजूदगी रही है. खासकर हिमालयी क्षेत्रों, जैसे कि लद्दाख, किन्नौर और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी यह प्रथा प्रचलित थी. इसके पीछे का उद्देश्य परिवार और संपत्ति को एकजुट रखना था. हालांकि समय के साथ यह परंपरा काफी हद तक लुप्त हो गई है.
क्या अब भी बहुपति विवाह स्वीकार्य है?
हालांकि कुछ समुदायों में अब भी यह परंपरा बची है, लेकिन बढ़ती शिक्षा, जागरूकता और कानून का प्रभाव इसकी स्वीकार्यता को चुनौती दे रहा है. नई पीढ़ी के लिए यह परंपरा समझ से परे और असहज हो सकती है.